भारत इस समूह का हिस्सा नहीं है लेकिन इस सम्मेलन में इस बार उसका हिस्सा ना लेना चर्चा का विषय बन गया है. इसकी वजह ये है कि साल 2019 के बाद से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी हर बार जी-7 देशों की इस बैठक में मेहमान के तौर पर शामिल होते आए हैं. विपक्षी कांग्रेस ने दावा किया है कि, ‘भारत को न्योता ना मिलना कूटनीतिक चूक है.’
सिर्फ़ साल 2020 का शिखर सम्मेलन कोरोना महामारी के कारण मेज़बान अमेरिका ने कैंसिल कर दिया था.
आमतौर पर जी-7 की मेज़बानी कर रहे देश इस समूह से इतर देशों को भी न्योता देते हैं.
कांग्रेस नेता जयराम रमेश ने इस बारे में एक एक्स पोस्ट में लिखा, “इस बार ब्राज़ील, मैक्सिको, दक्षिण अफ़्रीका और यूक्रेन के राष्ट्रपतियों तथा ऑस्ट्रेलिया के प्रधानमंत्री को भी आमंत्रित किया गया है.”
उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर तंज़ करते हुए लिखा कि छह सालों में पहली बार न्योता न मिलना बड़ी कूटनीतिक चूक है.
बीते एक साल के अंदर कनाडा और भारत के रिश्ते अपने बुरे दौर से गुज़रते दिखे हैं. साल 2023 में तत्कालीन कनाडाई पीएम जस्टिन ट्रूडो ने ये आरोप लगाया था कि ख़ालिस्तान समर्थक हरदीप सिंह निज्जर की हत्या में भारत की भागीदारी थी. हालांकि, भारत ने ये आरोप ख़ारिज कर दिए थे. लेकिन दोनों देशों के बीच रिश्तों में तनाव चरम पर पहुंच गया था.
अब मार्क कार्नी कनाडा के पीएम हैं. लेकिन भारत के समिट में शामिल ना होने को दोनों देशों के संबंधों में आई गिरावट से ही जोड़कर देखा जा रहा है.
खबर में जानेंगे दुनिया के सात अमीर मुल्कों वाले इस समूह से जुड़े कई सवालों के जवाब.
जी 7 यानी ‘ग्रुप ऑफ़ सेवन’ दुनिया की सात ‘अत्याधुनिक’ अर्थव्यवस्थाओं का एक गठजोड़ है, जिसका ग्लोबल ट्रेड और अंतरराष्ट्रीय फ़ाइनेंशियल सिस्टम पर दबदबा है.
वर्ष 2000 में इस गुट की वैश्विक जीडीपी में 40 फ़ीसदी की हिस्सेदारी थी. मगर इसके बाद इसमें गिरावट आई है.
अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष पर मौजूद आंकड़ों के अनुसार,अब वैश्विक जीडीपी में इन जी-7 देशों की हिस्सेदारी 28.43 फ़ीसदी है.
साल 2014 से पहले जी-7 असल में जी-8 हुआ करता था. इसमें आठवां देश रूस था. पर साल 2014 में रूस के क्राइमिया पर कब्ज़े के बाद रूस को इस गुट से निकाल दिया गया.
एक बड़ी इकॉनमी और दुनिया का दूसरा सबसे अधिक आबादी वाला देश होने के बावजूद चीन कभी भी इस गुट का हिस्सा नहीं रहा है
चीन में प्रति व्यक्ति आय इन सात देशों की तुलना में बहुत कम है. इसलिए चीन को एक एडवांस इकॉनमी नहीं माना जाता.
यूरोपीय संघ भी जी-7 का हिस्सा नहीं है लेकिन उसके अधिकारी जी-7 के वार्षिक शिखर सम्मेलनों में शामिल होते हैं.