गौवंश संरक्षण एवं पालन व गौ-सेवा का भाव भारत के आम नागरिकों में जगाना विश्व मंगल के लिये शुभ संकेत है
भारतीय गौवंश संरक्षण एवं गौपालन के भाव से गौचेतना जागरण अभियान का सुपरिणाम आज सर्वत्र दिखाई पड़ रहा है। गाय और गौवंश नि:संदेह विश्व की आर्थिक समृद्धि का आधार है, गौपालन और गौ सेवा भारतीय कृषि विज्ञान के सिद्धान्त के अनुसार कृषक उन्नति का महत्त्वपूर्ण कारण है। भारतवर्ष के सभी अंचलों, क्षेत्रों एवं जिलों में भारतीय गौवंश की अनेक महत्त्वपूर्ण प्रजातियां विश्वभर में चर्चित हैं। ऐसी ही एक भारतीय गौवंश की प्रजाति वर्तमान में बहुत लोकप्रिय हो रही है। तिरुपति बालाजी के मंदिर में जिस गाय का दुग्ध और जिस दुग्ध से बनी मिठाई का भोग लगाया जाता है, उस भारतीय गौवंश (गाय) का नाम पुंगनूर गाय है। यह गाय हाईट में और आकार में बहुत छोटी होती है। इस गाय और उसके नंदी को घर के बैडरूम (शयन कक्ष) में भी रखा जा सकता है। इस गाय-बछड़े को अपने शयन कक्ष में सुलाया भी जा सकता है। घर के नन्हें बाल-गोपाल इन नन्हें-नन्हें गाय -बछड़ों के साथ उछल -कूद कर खेल भी सकते हैं।
दक्षिण भारत के हिन्दू मंदिरों, देव स्थानों में इनके लालन-पालन का प्रचलन है, किन्तु अब उत्तर भारत में भी इस पुंगनूर गाय-बछड़े के पालन-पोषण संरक्षण-संवर्धन का प्रचलन बहुत तेजी के साथ आरम्भ हो गया है। ऐसे गौवंश का संरक्षण पालन उनकी सेवा और संवर्द्धन बहुत पुण्य का कार्य है। इसी क्रम में छिंदवाड़ा नगर के गौभक्त परिवार काबरा परिवार में जो नगर की मधुवन कालोनी स्थित गायत्री मंदिर के समीप निवास करता है। शिव-नंदिनी पुंगनूर जोड़े के संरक्षण-पालन और संवर्द्धन का पुनीत संकल्प लेकर अपने गृह में प्रवेश देकर उनकी सेवा कर रहे हैं। उप संचालक पशुपालन एवं डेयरी विभाग डॉ.एच.जी.एस.पक्षवार के साथ मध्यप्रदेश गौपालन एवं पशुधन संवर्द्धन बोर्ड की कार्य परिषद् के पूर्व अध्यक्ष महामण्डलेश्वर स्वामी काबरा परिवार में पहुंचकर शिव नंदिनी का दर्शन कर उन्होंने कहा कि गौवंश संरक्षण एवं पालन व गौ-सेवा का भाव भारत के आम नागरिकों में जगाना विश्व मंगल के लिये शुभ संकेत है और उन्होंने अपनी प्रसन्नता व्यक्त की ।
