मध्य प्रदेश में कर्मचारी-अधिकारियों की पदोन्नति का रास्ता जल्द ही खुलने जा रहा है. प्रदेश सरकार ने कर्मचारी-अधिकारियों की पदोन्नति को लेकर ड्राफ्ट तैयार कर लिया है. इसका मसौदा तैयार करके जल्द ही इसे विधि विभाग की मंजूरी के लिए भेजा जाएगा. मंजूरी मिलने के बाद इसे कैबिनेट में रखा जाएगा. बताया जा रहा है कि प्रदेश के 4 लाख से ज्यादा कर्मचारियों को पदोन्नति का लाभ तो मिलेगा, लेकिन वेतन बढ़ोत्तरी का लाभ नहीं मिल सकेगा, क्योंकि यह पहले से ही उच्च पद का वेतन प्राप्त कर रहे हैं. हालांकि ऐसे कर्मचारी जिनकी सेवाएं 10 साल से ज्यादा हो चुकी हैं, उन्हें पदोन्नति के साथ वेतन बढ़ोत्तरी का भी लाभ मिलेगा. प्रदेश में ऐसे कर्मचारियों की संख्या 2 लाख से ज्यादा है.
बताया जा रहा है कि प्रमोशन का ड्राफ्ट तैयार करने को लेकर लगातार मंथन चल रहा है. मुख्य सचिव अनुराग जैन की अध्यक्षता में गठित कमेटी ड्राफ्ट को अंतिम रूप देगी. हालांकि अधिकारियों द्वारा 4 बार प्रमोशन से जुड़ा ड्राफ्ट भेजा जा चुका है, लेकिन कमेटी इसे वापस कर चुकी है. कमेटी ने एक बार फिर इसमें कई संशोधन के साथ प्रस्तुत करने के लिए कहा है.
बताया जा रहा है कि इस साल कर्मचारियों को सिर्फ एक ही प्रमोशन का लाभ दिया जाएगा, क्योंकि साल में एक ही डीपीसी होती है और 2016 के बाद से भी कर्मचारी क्रमोन्नति और इंक्रीमेंट का लाभ ले चुके है.
अजाक्स-सपाक्स अपनी मांगों पर अड़े
उधर सरकारी कर्मचारियों के प्रमोशन को लेकर अजाक्स और सपाक्स अपनी अलग-अलग मांगों को लेकर अड़े हुए हैं. अजाक्स और उससे जुड़े अधिकारी कर्मचारी जहां 2002 के पदोन्नति के नियमों के तहत पदोन्नति का लाभ दिए जाने की मांग कर रहे हैं. मंत्रालय अजाक्स शाखा के अध्यक्ष घनश्याम दास भकोरिया का कहना है कि “हमने शासन के सामने अपना पक्ष रख दिया है
इसमें कहा गया है कि 2002 के नियमों को आधार बनाकर ही पदोन्नति का लाभ दिया जाना चाहिए, या फिर संवैधानिक नियमों के तहत सुप्रीम कोर्ट सीनियर एडवोकेट गोरकेला द्वारा बनाए गए नियमों को पदोन्नति का आधार बनाया जाए.” उधर सपाक्स के प्रदेश अध्यक्ष डॉ. केएस तोमर के मुताबिक “एम नागराज मामले से जुड़े फैसले में 2002 के नियम को खारिज किया जा चुका है,.