कलेक्टर सभागृह में आज जिला बाल कल्याण एवं संरक्षण समिति की बैठक आयोजित की गई। बैठक की अध्यक्षता कलेक्टर शीलेन्द्र सिंह ने की। बैठक का आयोजन महिला एवं बाल विकास विभाग द्वारा किया गया, जिसमें जिले में बच्चों के हित में संचालित विभिन्न योजनाओं की गहन समीक्षा की गई।
बैठक में स्पॉन्सरशिप योजना, फास्टर केयर योजना, मुख्यमंत्री बाल आशीर्वाद योजना, मुख्यमंत्री कोविड-19 बाल सहायता योजना और दत्तक ग्रहण प्रक्रिया जैसे महत्वपूर्ण विषयों पर विस्तार से चर्चा की गई। इन योजनाओं के माध्यम से असहाय, अनाथ और अभिभावकविहीन बच्चों के पुनर्वास, शिक्षा और संरक्षण को सुनिश्चित करने के लिए किए जा रहे प्रयासों की समीक्षा की गई।
कलेक्टर सिंह ने बैठक को औपचारिकता मात्र न मानते हुए इसे बच्चों के भविष्य को संवारने की दिशा में एक ठोस कदम बताया। उन्होंने स्पष्ट रूप से कहा कि बैठक का उद्देश्य केवल रस्म अदायगी नहीं होना चाहिए, बल्कि इससे जुड़े सभी विभागों और समितियों को बच्चों के कल्याण हेतु जिम्मेदारी से कार्य करना चाहिए।
उन्होंने शहर में भिक्षावृत्ति में लिप्त बच्चों की स्थिति पर गहरी चिंता जताई। उन्होंने कहा कि जिन बच्चों से उनके माता-पिता या अभिभावक भीख मंगवाने का कार्य करवा रहे हैं, उन पर सख्त कार्रवाई की जाए। उन्होंने निर्देश दिए कि ऐसे मामलों की पहचान कर नियमानुसार वैधानिक कदम उठाए जाएं।
कलेक्टर सिंह ने डीपीसी, डीईओ और जनजातीय सहायक आयुक्त को निर्देशित किया कि वे शहरी स्लम क्षेत्रों के समीप स्थित स्कूलों के शिक्षक व स्टाफ के साथ समन्वय कर घर-घर जाकर ऐसे बच्चों की पहचान करें जो शिक्षा से वंचित हैं, और उनकी नियमित विद्यालय में उपस्थिति दर्ज कराना सुनिश्चित करें।
इसके साथ ही उन्होंने बाल कल्याण समिति और संरक्षण समिति के सदस्यों से भी अपील की कि वे स्कूलों का भ्रमण कर बच्चों को जीवन की सही दिशा दिखाने में अपनी सक्रिय भूमिका निभाएं। उन्होंने कहा कि यह आवश्यक है कि बच्चों को केवल शिक्षा ही नहीं, बल्कि जीवन के नैतिक और सामाजिक मूल्यों की भी शिक्षा दी जाए।
बैठक में सीईओ जिला पंचायत अग्रिम कुमार, जिला कार्यक्रम अधिकारी महिला एवं बाल विकास ब्रजेश कुमार शिवहरे, बाल कल्याण समिति के सदस्य, संरक्षण समिति के सदस्य, शिक्षा विभाग, पुलिस विभाग एवं अन्य संबंधित अधिकारी उपस्थित रहे।