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कम लागत, कम पानी में अधिक उत्पादन की मिसाल बने बिलाईखार के कृषक हीरासिंह परस्ते

डिंडौरी जिले के विकासखंड बजाग के ग्राम बिलाईखार के कृषक हीरासिंह परस्ते आज जिले ही नहीं, बल्कि आसपास के क्षेत्रों के किसानों के लिए प्रेरणा बन चुके हैं। उन्होंने पारंपरिक खेती के स्थान पर वैज्ञानिक पद्धति एसआरआई विधि को अपनाकर धान की खेती में नया कीर्तिमान स्थापित किया है। हीरासिंह ने अपने 15 एकड़ क्षेत्र में इस विधि से धान की खेती कर कम लागत, कम पानी और जैविक खादों के उपयोग से अधिक उत्पादन प्राप्त कर दिखाया है।

एसआरआई (SRI) या विधि धान की एक उन्नत और वैज्ञानिक पद्धति है, जो पारंपरिक खेती की तुलना में बहुत कम बीज, पानी और रासायनिक खादों का उपयोग करते हुए अधिक उपज देने पर आधारित है। इस विधि की खास बात यह है कि इसमें कम उम्र के पौधों की रोपाई की जाती है, प्रत्येक स्थान पर केवल एक ही पौधा लगाया जाता है, और पौधों के बीच उचित दूरी रखी जाती है, जिससे हवा का बेहतर संचार होता है और जड़ों का विकास बेहतर होता है। हीरासिंह नियमित निराई-गुड़ाई, कोनो-वीडर का प्रयोग, और जैविक खादों का भरपूर उपयोग कर खेती करते हैं। उनके खेतों में हमेशा पर्याप्त नमी बनाए रखी जाती है, जिससे पानी की 50% तक बचत होती है और धान की जड़ों को ऑक्सीजन भी मिलती है। परिणामस्वरूप, उनके पौधों से 40-60 तक कल्ले निकलते हैं, जबकि पारंपरिक विधि में यह संख्या केवल 5-8 तक सीमित रहती है।

 

परस्ते न केवल खुद यह तकनीक अपनाकर लाभ कमा रहे हैं, बल्कि वे अन्य किसानों को भी विधि के लाभों से अवगत करा रहे हैं। उनकी प्रेरणा से गांव के कई कृषकों ने इस विधि को अपनाना शुरू कर दिया है। बीज, पानी और रासायनिक खाद की बचत के साथ-साथ फसल की गुणवत्ता और उपज में वृद्धि ने उनके जीवन को नई दिशा दी है।

यह सफलता कहानी दर्शाती है कि अगर किसान आधुनिक तकनीकों को अपनाएं, तो संसाधनों की कमी के बावजूद भी वे आत्मनिर्भर बन सकते हैं और दूसरों के लिए प्रेरणा का स्रोत बन सकते हैं। हीरासिंह परस्ते की मेहनत, नवाचार और जागरूकता आज बिलाईखार गांव की पहचान बन चुकी है।

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