जब ये आंकड़े आए तो एक तरफ़ वो लोग थे जो कहते हैं कि मौजूदा केंद्र सरकार की नीतियों ने भारत को दुनिया में एक नई पहचान दी है.
दूसरी तरफ़ वो थे, जो कहते हैं कि जब तक हर नागरिक के पास नौकरी, शिक्षा और स्वास्थ्य सुरक्षा नहीं होगी, तब तक भारत विकसित देशों के बराबर नहीं हो सकता.
इन आंकड़ों से कई सवाल निकलते हैं, जैसे कि इस मुक़ाम तक पहुँचने के बावजूद आख़िर बेरोज़गारी की दर अब भी ऊँची क्यों है? इस ग्रोथ का फ़ायदा किसे हो रहा है?
आज के एपिसोड में कलेक्टिव न्यूज़रूम के डायरेक्टर ऑफ़ जर्नलिज़म मुकेश शर्मा ने इन्हीं सवालों पर बात की ऑब्ज़र्वर रिसर्च फ़ाउंडेशन के वाइस प्रेसिडेंट गौतम चिकरमाने और आईआईटी दिल्ली में प्रोफ़ेसर और अर्थशास्त्री रीतिका खेड़ा के साथ.