अब क्षेत्र में फिजियोथेरेपी की बढ़ती महत्ता को देखते हुए केंद्र सरकार ने इसे चिकित्सा के प्रमुख प्रोफेशनल पाठ्यक्रमों में शामिल कर दिया है। केंद्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय ने अधिसूचना जारी कर सरकारी एवं प्रतिष्ठित निजी संस्थानों में इस में प्रवेश के लिए नेशनल एलिजिबिलिटी कम एंट्रेस टेस्ट-अंडरग्रेजुएट को अनिवार्य कर दिया है।
अब फिजियोथेरेपिस्ट को नाम के आगे डॉक्टर व बाद में पीटी यानी फिजियोथेरेपिस्ट लगाना अनिवार्य होगा। आईजीआइएमएस में फिजियोथेरेपी विभाग के प्रोफेसर डॉ. रत्नेश चौधरी ने बताया कि इससे न केवल पाठ्यक्रम के स्तर, बल्कि रोजगार अवसर की गुणवत्ता में भी संभाल जाएगी |
अब बढ़ेगी प्रतिष्ठा
नाम के आगे डॉक्टर लगाने से में प्रतिष्ठा तो बाद में पीटी लगाने से पता चलेगा कि वे सर्जन, फिजिशियन हैं या फिजियोथेरेपिस्ट। इस अधिसूचना का आधार भारतीय संसद द्वारा पारित पास हेल्थ एवं अलाइड हेल्थ केयर बिल-2021 है।
कहा कि इस बिल के पारित होने से अब हर अस्पताल में अलग फिजियोथेरेपी विभाग और उसका अलग से पंजीयन हो सकेगा। फिजिथेरेपिस्ट को हर तीन वर्ष पर ज्ञान बढ़ाने के लिए परीक्षा देनी होगी। इनकी शिक्षा व क्लिनिकल कैडर अलग होंगे।