ग्राम लोढ़सर के निवासी नानूराम राव ने प्राथमिक शिक्षा गांव के राजकीय स्कूल लोढ़सर से प्राप्त की. जिसके बाद उन्होंने कक्षा 10, 12वीं का एक्जाम ओपन बोर्ड से देकर पास किया. नानूराम ने स्नातक सीकर एस.के कॉलेज से किया है.
सुजानगढ़ के सालासर रोड़ पर स्थित लोढ़सर गांव के रहने वाले नानूराम राव को कक्षा 6 में आंखों से दिखना बंद हो गया था. इसके बाद भी वह कलेक्टर (आईएएस) बनने के लक्ष्य से पीछे नही हटे और अपनी पढ़ाई जारी रखी. जी मीडिया से बातचीत में नानूराम राव ने बताया कि मन में विश्वास, परीश्रम, लगन से ही कठिन से कठिन लक्ष्य हासिल हो सकता है. नानूराम ने बताया कि सार्वजनिक निर्माण विभाग में बेलदार पद पर कार्यरत मेरे पिता टीकूराम राव के सपने को साकार करने के लिए मैं आईएएस परीक्षा की तैयारी कर रहा हूं. उसी की बदौलत आज मैनें मेरी आंखें नही होने के बावजूद भी आईएएस का प्री एक्जाम क्लीयर कर लिया है. राव ने कहा कि मुझे पुरा भरोसा है कि मैं इस बार मेन एक्जाम क्लीयर कर मेरा और मेरे पिताजी का सपना साकार करूंगा.
भाई-बहनों ने की पढ़ाई में मदद
ग्राम लोढ़सर के निवासी नानूराम राव ने प्राथमिक शिक्षा गांव के राजकीय स्कूल लोढ़सर से प्राप्त की. जिसके बाद उन्होंने कक्षा 10, 12वीं का एक्जाम ओपन बोर्ड से देकर पास किया. नानूराम ने स्नातक सीकर एस.के कॉलेज से किया है. नेत्रहीन नानूराम ने अपने आईएएस बनने के सपने को साकार करने के लिए नियमीत दो साल तक सीकर अप-डाऊन कर निजी कोंचिग में दो साल तक क्लासें लीं और सेल्फ स्टडी की. नानूराम की मां अमरी देवी ने बताया कि नानूराम की पढ़ाई में अहम योगदान उनकी बहनें पूनम, नीलम, भगवती, मंजू और भाई सुनील का है. जो नानूराम की किताबें पढक़र उन्हें सीडी में रिकार्ड करती थीं. जिन्हें नानूराम टेप में सुनता था और याद करता था. नानूराम अभी बरेलीपी की मदद से पढ़ाई कर रहा है और सीडी में बहनों से नोट्स रिकार्ड करवाकर सुनता है. नानूराम का आईक्यूं बहुत तेज है.
प्रशासनिक सेवा में जाना ही है लक्ष्य
नानूराम ने बताया कि मेरा एक ही लक्ष्य है प्रशासनिक सेवा में जाना और भी आईएएस पद पर पदोन्नत होना. इसके लिए नानूराम सिर्फ आईएएस की तैयारी कर रहे हैं. नानूराम ने अभी तक किसी दुसरी भर्ती में आवेदन नहीं किया है. नानूराम का कहना है कि जो लक्ष्य है उसे हासिल करूंगा. नानूराम ने बातचीत में बताया कि मेरे जैसे नेत्रहीन और दिव्यांग देश में बहुत हैं. जिनमें पढ़, लिख कर कुछ करने की तमन्ना है, लेकिन उनके पास संसाधन नही है. उनके लिए अलग से स्कूल, रिकार्डर जैसी व्यवस्थाएं करना चाहुंगा. जिससे वें पढ़ लिख कर आगे बढ़ सकें.