जबलपुर की मनोहारी प्राकृतिक सुन्दरता की वजह से 12शताब्दी में गोंड राजाओं की राजधानी रहा, उसके बाद कालाचूडी राज्य के हाथ रहा और अन्तत: इसे मराठाओं ने जीत लिया और तब तक उनके पास रहा जब तक कि ब्रिटिशर्स ने 1817 में उनसे ले न लिया। जबलपुर में ब्रिटिश काल के चिन्ह आज भी मौजूद हैं, कैन्टोनमेण्ट, उनके बंगले और अन्य ब्रिटिश कालीन इमारतें। जबलपुर विश्वप्रसिध्द मार्बलरॉक्स के लिए प्रसिध्द है, जो कि यहाँसे 23 किमी दूर भेडाघाट में हैं। नर्मदा के दोनों दूर तक ओर 100-100 फीट ऊंची ये संगमरमरी चट्टानें बहुत सुन्दर दृश्य प्रस्तुत करती हैं।
इस दृश्य के लिये कैप्टन जे फोरसिथ ने अपनी किताब हाई लैण्डस ऑफ सैण्ट्रल इंडिया में लिखा है कि ऐसा सुन्दर दृश्य देख आँखे थकती नहीं जब इन शफ्फाक चट्टानों से सूर्य की किरणें छनछन कर, टकरा कर पानी पर पडती हैं। इन सफेद चट्टानों की ऊँची नुकीली पंक्तियां नीले आकाश और गहरे नीले पानी के बीच अपनी रूपहली आभा लिए दूर तक दिखाई देती हैं। कहीं धूप, कहीं छांव का यह मोहक खेल और दूर तक फैली शान्ति आपको अलग ही दुनिया में ले जाती है। इन चट्टानों में बहती नर्मदा नदी का पाट इन चट्टानों के अनुरूप घटता बढता रहता है। कहीं संकरी तो कहीं चौडी। यहाँ नौका विहार की सुविधा नवम्बर माह से मई तक होती है। यहाँ भेडाघाट में धुंआधार फाल्स एकऔर देखने योग्य स्थान है।