नई दिल्ली ।
वर्षों बाद होने जा रहे कांग्रेस पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष के चुनाव में जिस तरह से दिग्विजयसिंह की ताजपोशी की तैयारी को बल दिया गया था ,उस लिहाज से दिग्गी का राष्ट्रीय अध्यक्ष बनने का मामला लगभग लगभग तय ही माना जा रहा था ।
अब कांग्रेस के ही सूत्र बताते हैं कि मध्यप्रदेश सरकार के मुख्यमंत्री रहे दिग्विजयसिंह जो कि पीसीसी के आखिरी निर्वचित अध्यक्ष भी रह चुके हैं लंबे समय से विधायक सांसद लोकसभा एवं राज्यसभा सांसद के साथ साथ ही कांग्रेस के राष्ट्रीय महासचिव भी हैं उन्हें एक राजनीति का लंबा अनुभव है आखिर ऐसे दमदार सख्सियत को राष्ट्रीय अध्यक्ष पद तक पहुँचने में बताया जाता है कि छिंदवाड़ा से वर्तमान विधायक और पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ ने जाल बिछाया था ।
दरअसल जब भी पत्रकारों ने कमलनाथ से दिग्गी की दावेदारी के बारे में पूछा तो कमलनाथ की शक्ल देखने लायक रहती थी बताया जाता है कि कमलनाथ ने खुद सोनिया गांधी से मुलाकात कर और दूरभाष पर बात कर दिग्विजयसिंह का विरोध किया था ।
जबकि एक लिहाज से देखा जाए तो आंदोलन और जमीनी पकड़ से लेकर निडरता यदि कई गुना ज्यादा है तो वह दिग्विजयसिंह में ही है वास्तविक ता तो यही है कि कमलनाथ भी खुद दिग्गी के सामने कई मामलों में बौने साबित होते हैं ।
कमलनाथ से जुड़े लोग बताते हैं कि कमलनाथ सिर्फ मैनेजमेंट की राजनीति करना जानते हैं संघर्ष में विश्वास नहीं करते ।
बहरहाल मल्लिकार्जुन खड़गे से कई गुना फिट राष्ट्रीय अध्यक्ष दिग्गी ही साबित हो सकते थे ,इसकी मुख्य वजह यह भी थी कि दिग्विजय हिंदी भाषी उत्तर भारत से आते हैं और कांग्रेस का बड़ा बेल्ट उत्तरप्रदेश, मध्यप्रदेश, राजस्थान, छत्तीसगढ़ ही है जो मिशन 2023 एवं 24 की दिशा तय करेगा ।